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Sunday 28 June 2015

देवदार का जंगल ...




आज से कोई आठ साल पहले की बात हैं ...पहली बार जब देखा था इसे ... भूत चढ़ गया हो जैसे ख़ुशी का ..थ्रिल वाली ख़ुशी ..साया आ गया हो ..जैसे सवारी किसी की , दिल ने भीतर काम करने से इनकार कर दिया था ..वो तो बाहर निकल कर धड़क रहा था और पैर कांप रहे थें चलने में ... दिलो दिमाग का संतुलन खो बैठे थें ..विश्वास कैसे होता की ये मंदिर जिन्हें सच में देख रही हूँ ..इनको पहले कभी सपने में भी देखा है ..बिलकुल ऐसे ही थें ..डिट्टो ...मंदिरों की वो झलक कभी नहीं भूल पाएंगे इस जीवन में ...ख़ुशी से पांव लड़खड़ा गया था गिर भी गयी थी मंदिर की सीढ़ी पर उतरते हुए ..
जागेश्वर धाम  नैनीताल से कोई पचपन , साठ किलोमीटर है  | दो घंटे का रास्ता था बस | पर निकलने में ही देर हो गयी थीं नैनीताल से , सो पहुँचते पहुँचते शाम हो गयी | सर्दी की वो शाम,  सूरज भी जाने को था और मंदिर बस पहुंचे ही थें | शिव जी के ये मंदिर बहुत सारे है यहाँ कोई १०० या १५० होंगे , सब एक ही जगह पर आस पास .. छोटे छोटे पर एतिहासिक सब पुराने पत्थरों से बने ,  ASI की निगरानी में हैं अपना जागेश्वर धाम  | पहाड़ी इलाका और चट्टानों से घिरे शिव जी भी अँधेरे में बैठे थें | बिजली गुल थी उस वक़्त वहां , मंदिर के भीतर घनघोर अँधेरा बस एक दिया जो न जाने कितने सौ सालो से जल रहा था यहाँ  इस अँधेरे में  | भोलेनाथ के दर्शन करके बाहर आ गयी थी फिर  देवदार के दर्शन करने लगी  पर शाम ढलान पर थीं और बढ़ता अंधकार जो बार बार हमे वापिस आने का इशारा दे रहा था उस सकरे पहाड़ी रस्ते से होकर उसी शाम नैनीताल लौटना था पर देवदार के ये जंगल जो एकदम मंदिर के बगल हैं रोक लगा रहे थें |ना जाने क्यों पर वापिस आने का मन नहीं हो रहा था| मंदिर के दूसरी तरफ शमशान था वो भी  बहुत समय से ... और बीच में मंदिर और इस मंदिर से  चिपकी नदी “जटा गंगा”  बेवजह शोर करती बहती जा रही थीं ...अजीब सी बेचैनी हो रही थीं उसकी आवाज़ से ... कोई अनजाना खौफ़ ...थोड़ी देर में वो पुजारी बाहर आ गया जहाँ खड़ी थीं मैं  और उसकी वो बात जिसे आज तक नहीं भूले और न ही यकीन किया अब तक ... “क़ुदरत ऐसी नहीं होती “ मेरे मन ने कहा ...फिर भी ना जाने क्यों तुरंत ही चल पड़े थें वहां से  ....
“ ये देवदार के जंगल देख रहे हैं सबसे पुराना जंगल है ये देवदार के पेड़ो का ... रात में अगर कोई चिता ना जले शमशान में तो ये रात भर शोर करते हैं सोने नहीं देते फिर ....“


1 comment:

  1. fantabolous writing ,vaise bi ye jangal usme shiv ji ye to favorite hai mere,ye kudrat ke nazare jise ap bakhobi bayan karti hai love u

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